Bharat-Canada Vivaad से इमीग्रेशन सेक्टर में 70% गिरावट

Bharat-Canada Vivaad के कूटनीतिक संबंधों में आई खटास के कारण भारतीय इमीग्रेशन बिजनेस पर गहरा असर पड़ा है। इस विवाद के चलते, कैनेडा जाने वाले भारतीय छात्रों और कामकाजी लोगों की संख्या में तेजी से गिरावट देखी गई है। छात्रों के लिए वीज़ा आवेदन और IELTS परीक्षा में भारी कमी आई है, जिससे यह उद्योग 70% तक प्रभावित हुआ है।

Bharat-Canada Vivaad का कारण और उसका असर

Bharat-Canada Vivaad तब शुरू हुआ जब कैनेडा के प्रधानमंत्री ने भारत सरकार पर कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया। भारत सरकार ने इन आरोपों का सख्त खंडन किया, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया। इसका सीधा प्रभाव इमीग्रेशन इंडस्ट्री पर पड़ा, खासकर छात्रों और उनके अभिभावकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हुई।

Bharat-Canada Vivaad पर विशेषज्ञों की राय

Bharat-Canada Vivaad से इमीग्रेशन सेक्टर में 70% गिरावट

विशेषज्ञों का कहना है कि इस Bharat-Canada Vivaad का असर वीज़ा नीतियों पर उतना नहीं पड़ा जितना कि छात्रों और उनके अभिभावकों के मनोविज्ञान पर। वीज़ा मिलने में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन छात्रों के कैनेडा जाने के निर्णय में कमी आई है।

चंडीगढ़ के एक कैनेडा वीज़ा एक्सपर्ट हैं, जो बताते हैं कि वीज़ा प्रक्रिया में हो रहे बदलाव और कूटनीतिक विवाद के कारण छात्रों का रुझान कम हुआ है। इसके अलावा, कैनेडा में पढ़ाई का खर्च पहले से ज्यादा हो गया है, जो कि एक अन्य बड़ी वजह है।

IELTS में 50% की गिरावट

IELTS में 50% की गिरावट

इमीग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि IELTS परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में 50% की गिरावट आई है। पहले 1 लाख से ज्यादा छात्र इस परीक्षा में बैठते थे, लेकिन अब यह संख्या 45 से 48 हजार तक सिमट गई है। यह परीक्षा कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूके, और न्यूजीलैंड जैसे देशों में उच्च शिक्षा के लिए जरूरी होती है, और इस गिरावट का कारण Bharat-Canada Vivaad माना जा रहा है।

अन्य देशों की ओर रुझान

कैनेडा के विकल्प के तौर पर अब भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया, यूके, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वीज़ा नियमों में सख्ती के बावजूद कैनेडा अभी भी छात्रों की पहली पसंद बना हुआ है, क्योंकि वहाँ परमानेंट रेजीडेंसी (PR) पाना अपेक्षाकृत आसान है।

भविष्य की संभावनाएं: Bharat-Canada Vivaad

विशेषज्ञों का मानना है कि कैनेडा में अगले साल होने वाले चुनावों के बाद स्थिति में सुधार हो सकता है। कैनेडा के कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने भी प्रधानमंत्री को वीज़ा नियमों में ढील देने की अपील की है। कुल मिलाकर, विशेषज्ञ इस समय को चुनौतीपूर्ण मानते हैं लेकिन उनका कहना है कि आने वाले समय में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

भारत में इकोनॉमिक पावर बनने की संभावना

Bharat-Canada Vivaad विवाद के दौरान एक और बदलाव यह देखा गया है कि भारतीय परिवार अब अपने बच्चों को विदेश भेजने के बजाय भारत में ही बेहतर अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत अब एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति बनता जा रहा है, और रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं, जो छात्रों और उनके परिवारों को यहीं रुकने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की नजर में निष्कर्ष

Bharat-Canada Vivaad के चलते इमीग्रेशन और स्टूडेंट वीज़ा के मामलों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक अस्थायी दौर है और आने वाले समय में स्थिति बेहतर हो सकती है। वहीं, भारतीय छात्र अब दूसरे देशों की ओर भी रुख कर रहे हैं, लेकिन कैनेडा अभी भी एक प्रमुख विकल्प बना हुआ है।

क्यों जाते हैं भारतीय छात्र विदेश में पढ़ने?

क्यों जाते हैं भारतीय छात्र विदेश में पढ़ने?

1. उच्च गुणवत्ता की शिक्षा

विदेशों में विश्वविद्यालय और संस्थान विश्व स्तरीय शिक्षा और सुविधाएं प्रदान करते हैं। उनका पाठ्यक्रम, शोध सुविधाएं, और प्रैक्टिकल ज्ञान भारतीय छात्रों को आकर्षित करता है। कई विदेशी विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग उच्च होती है, जिससे वहां से डिग्री प्राप्त करने की संभावना बेहतर करियर विकल्प प्रदान करती है।

2. बेहतर करियर अवसर

विदेश से डिग्री हासिल करने के बाद वैश्विक बाजार में रोजगार की संभावनाएं बेहतर होती हैं। कंपनियां विदेशी विश्वविद्यालयों के ग्रेजुएट्स को उच्च कौशल और अनुभव के लिए प्राथमिकता देती हैं। इसके अलावा, कई देशों में पढ़ाई के बाद नौकरी करने के बेहतर अवसर होते हैं, जिससे छात्र वहीं काम करके स्थायी निवास (PR) के लिए आवेदन कर सकते हैं।

3. अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर

विदेश में पढ़ाई करने से छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विचारों से परिचय होता है। यह अनुभव उनके व्यक्तित्व को और समृद्ध बनाता है और उन्हें वैश्विक स्तर पर काम करने के लिए तैयार करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्किंग और व्यक्तिगत विकास भी एक प्रमुख कारण होता है।

4. स्पेशलाइज्ड कोर्स

कई छात्र विदेश में पढ़ाई इसलिए करते हैं क्योंकि वहां ऐसे विशिष्ट कोर्स और प्रोग्राम उपलब्ध होते हैं जो भारत में सीमित या उपलब्ध नहीं होते। जैसे कि अंतरराष्ट्रीय संबंध, कला, चिकित्सा, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, और अन्य क्षेत्र विशेष की पढ़ाई के लिए छात्र विदेश जाना पसंद करते हैं।

5. अनुसंधान और विकास के अवसर

विदेशी विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं और फंडिंग होती हैं। जो छात्र रिसर्च में रुचि रखते हैं, उन्हें विदेश में अधिक अवसर मिलते हैं और वे नवीन तकनीक और खोजों पर काम कर सकते हैं।

6. इमिग्रेशन और स्थायी निवास (PR)

कई देशों में पढ़ाई के बाद स्थायी निवास (PR) प्राप्त करने के बेहतर मौके होते हैं। जैसे कि कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, और न्यूजीलैंड में पढ़ाई के बाद छात्रों को वर्क परमिट मिलता है, जिससे वे वहां नौकरी कर सकते हैं और स्थायी रूप से वहां बस सकते हैं।

7. उन्नत सुविधाएं और जीवनशैली

विदेशों में शिक्षा संस्थान छात्रों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि लाइब्रेरी, प्रयोगशालाएं, कैंपस जीवन, और तकनीकी संसाधन। इसके साथ ही, विदेशी जीवनशैली, स्वतंत्रता और विकास के लिए बेहतर माहौल होता है।

8. प्रतिस्पर्धा और प्रवेश परीक्षाओं से बचाव

भारत में अच्छे विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए काफी प्रतिस्पर्धा होती है। आई आईटी, मेडिकल कॉलेजों, और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश के लिए लाखों छात्रों को कठिन प्रवेश परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है। वहीं, विदेश में दाखिला लेना तुलनात्मक रूप से आसान होता है और प्रक्रिया कम जटिल होती है।

निष्कर्ष विशेषज्ञों की नज़र में

इन सभी कारणों की वजह से भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने के लिए आकर्षित होते हैं और अपने करियर को बेहतर दिशा देने का प्रयास करते हैं। लेकिन Bharat-Canada Vivaad ने विदेश जाने वाले बच्चों के सपनों को कहीं ना कहीं विराम चिन्ह लगा दिया है। अब बच्चे यूरोप की तरफ चल पड़े हैं, क्योंकि कोई भी मां-बाप अपने बच्चों को ऐसे देश में नहीं भेजना चाहेगा जहां पर अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा हो, जहां पर माता-पिता अपने बच्चों को  सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।

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