Raj Thackeray, महाराष्ट्र की राजनीति के एक शानदार व्यक्तित्व वाले प्रमुख चेहरे हैं, जिन्होंने अपने तेज तर्रार भाषणों और प्रभावी राजनीतिक रणनीतियों से जनता का ध्यान खींचा। हालांकि राजनीतिक परिवारों की पृष्ठभूमि के बावजूद उनके राजनीतिक सफर में उतार-चढ़ाव का दौर आया। लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या Raj Thackeray 2024 के चुनावों में महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
क्या बाला साहेब का Raj Thackeray आज भी उतना ही प्रभावी है जितना लोग उससे उम्मीद करते थे। आइए आज अनूठी शख्सियत के पहले एपिसोड में हम Raj Thackeray के बारे में जानेंगे।
‘सामना’ अखबार की एक खबर
24 जुलाई को सामना में एक खबर छपी जिसका शीर्षक था पुणे के एक छोटे से व्यापारी की हत्या। उसी दिन विपक्ष के नेता छगन भुजबल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई जिसमें पुणे के मरने वाले उस व्यापारी की पत्नी शीला भी शामिल हुईं। मृतक का नाम रमेश किनी था।
भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शीला के आरोपों से सभी हैरान हो गए। क्योंकि उन्होंने सीधे-सीधे अपने पति की हत्या और अपहरण का दोष महाराष्ट्र की राजनीति में उभरते हुए नए नेता Raj Thackeray पर लगा दिया था। उस समय महाराष्ट्र में शिवसेना ओर भाजपा की सरकार थी। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री थे और भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उप मुख्यमंत्री थे।
गठबंधन की इस सरकार को अभी 1 साल ही पूरा हुआ था। लेकिन Raj Thackeray का इस हत्याकांड में नाम आने से राजनीति में हलचल पैदा हो गई।
यही घटना Raj Thackeray की जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट हुआ। इसी घटना ने Raj Thackeray की राजनीतिक पारी का अंत भी कर दिया और शुरुआत भी हो गई।
Raj Thackeray का राजनीतिक सफर
Raj Thackeray का जन्म 14 जून 1968 को हुआ और वे बाल ठाकरे के भतीजे हैं। Raj Thackeray के पिता श्रीकांत ठाकरे ने अपने संगीत प्रेम की वजह से Raj Thackeray के पैदा होते ही इनका नाम स्वराज रखा, जिसका मतलब होता है सूरों का बादशाह।
अपने पापा के कहने पर Raj Thackeray ने बचपन से ही तबला गिटार और वायरल की शिक्षा प्राप्त की।
जवानी की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही Raj Thackeray ने अपने चाचा बाल ठाकरे का अनुसरण करना शुरू कर दिया था।
वरिष्ठ पत्रकार धवल कुलकर्णी अपनी किताब ‘द कज़िन्स ठाकरे’ में लिखते हैं कि बालासाहेब ठाकरे आपने इस भतीजे से बहुत प्रेम करते थे। राज़ और उद्धव साथ में ही दोनों बड़े हुए। दोनों ने एक साथ दादर के बालमोहन विद्या मंदिर स्कूल से पढ़ाई की।
उद्धव एक शर्मीले स्वभाव के थे लेकिन राज़ ठाकरे लड़कियों में मशहूर थे। पढ़ाई लिखाई में इनका मन नहीं लगता था और इसी कारण से Raj Thackeray थोड़े से अपने आप को कमतर भी मानते थे। लेकिन लोग कहते हैं कि 3 साल की उम्र से ही Raj Thackeray ने अपने चाचा बाला साहेब को के तौर तरीके सीखने शुरू कर दिए थे
चाचा बालासाहेब ठाकरे के कहने पर कार्टूनिस्ट बने
बालासाहेब के कहने पर ही Raj Thackeray ने कार्टूनिस्ट का काम किया। अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद Raj Thackeray ने सर जेजे इंस्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड आर्ट्स से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। कॉलेज के दिनों में राज़ ने जो कार्टून्स बनाए थे, उनकी मांग विदेशों में भी बढ़ गई थी। बाल साहब ठाकरे राज़ से कहा करते थे, “मैंने कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर बाल ठाकरे के नाम से शुरू किया। तुम Raj Thackeray के नाम से अपना करियर शुरू कर सकते हो।
Raj Thackeray ने ग्रेजुएशन के बाद कॉल साहेब ठाकरे के वीकली मैग्जीन ‘मार्मिक में बतौर कार्टूनिस्ट काम करना शुरू कर दिया। एक पृष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर राज़ ठाकरे राजनीति में नहीं आते तो वो एक अच्छे कार्टूनिस्ट बन जाते।
Raj Thackeray का राजनीतिक करियर
Raj Thackeray ने बाल साहेब के नक्शे कदम पर चलते हुए शिवसेना पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। वे हूबहू बाला साहेब की तरह दिखते, चलते और बोलते थे। यही कारण था कि लोग Raj Thackeray में बाला साहेब ठाकरे की छवि देखते थे। कुछ लोगों का तो ये भी मानना था की एक दिन बाला साहेब शिवसेना की कमान Raj Thackeray को जरूर सौंप देंगे। धीरे धीरे राज ठाकरे की नेतृत्व कला और जन समर्थन ने उन्हें शिवसेना के प्रमुख नेताओं में शामिल कर दिया था। बाला साहेब ठाकरे के बाद लोग, Raj Thackeray को शिवसेना में दूसरे नंबर का नेता मानने लग गए थे।
माइकल जैक्सन से चार करोड़ का फंड मिला
1 नवंबर 1996 को मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस दल की संख्या के साथ-साथ लोगों की संख्या से भी भरा पड़ा था। हर कोई अपने हाथ में गुलदस्ता और फूलों की माला लेकर किंग ऑफ पॉप यानी माइकल जैक्सन का इंतजार कर रहा था।
क्योंकि माइकल जैक्सन भारत में पहली बार अपना कोई म्यूजिक कंसर्ट करने जा रहे थे। माइकल को रिसीव करने के लिए Raj Thackeray और बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे एयरपोर्ट गए थे। दोनों ने गुलदस्ता देकर माइकल का स्वागत किया और यह काफिला माइकल जैक्सन को लेकर सीधा बालासाहेब के घर मातोश्री में पहुंचा।
किताब ‘द कज़िन्स ठाकरे’ के अनुसार माइकल ने बालासाहेब ठाकरे से मुलाकात की और उनका टॉयलेट भी इस्तेमाल किया। माइकल जैक्सन ने खुद को टॉयलेट में बहुत देर तक बंद कर लिया था। उन्होंने टॉयलेट की एक दीवार पर अपना ऑटोग्राफ़ भी दिया था।
बाला साहब ने माइकल जैक्सन को चांदी का तबला और तानपुरा भेंट किया था। उस दिन अंधेरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में माइकल जैक्सन का कॉन्सर्ट हुआ। समाचार पत्रों के हवाले से खबर है कि 16,000 की पब्लिक कैपेसिटी वाले कंसर्ट में 7,0000 लोग पहुँच गए थे।
इस कॉन्सर्ट का आयोजन Raj Thackeray ने ही करवाया था। इस कॉन्सर्ट का मुख्य उद्देश्य था 27 लाख मराठी युवाओं को रोजगार दिलवाना। उन दिनों Raj Thackerayशिव उद्योग सेना संगठन चलाते थे, जो बेरोजगार युवाओं के लिए काम करता था।
कॉन्सर्ट पूरा होने के बाद माइकल जैक्सन ने राज़ को ₹4,00,00,000 का फंड दे दिया। कहते है माइकल जैक्सन शुरुआत में इतना फंड देने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन जब उन्होंने अपने मैनेजर से पूछा की जो ये 27 लाख लोग मराठी युवा है, क्या वो भी उसके फैन है? मैनेजर ने कहा, “सर फैन बन सकते हैं।” इस तरह से माइकल ने Raj Thackeray से मुलाकात की और ₹4,00,00,000 का फंड दे दिया
उद्धव ठाकरे को BMC चुनाव की जिम्मेवारी सौंपी गई।
लोग सोच ही रहे थे कि Raj Thackeray बालासाहेब के बाद शिवसेना की कमान संभालेंगे। लेकिन रमेश किनी हत्याकांड राज़ ठाकरे के जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी। जांच पड़ताल करने के बाद Raj Thackeray को CBI से क्लीन चिट तो मिल गई थी लेकिन अब तक राज़ और बालासाहेब के बीच दरार भी पड़ गई थी
बाला साहेब के उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे बने।
2002 में पिता के कहने पर उद्धव ठाकरे शिवसेना के राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने लगे। सुनियोजित तरीके से बाला साहब ने उद्धव को इस साल होने वाले मुंबई महा नगरपालिका के चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी।
उद्धव ठाकरे ने पिता के इशारे को समझा और इस चुनाव में Raj Thackeray के कई करीबी नेताओं के टिकट काट दिए। नाराज होकर भी Raj Thackeray कुछ नहीं कर पाए।
2002 की इस चुनावी जीत से पार्टी पर उद्धव ठाकरे की पकड़ मजबूत हो गई। अब तक शिव सैनिकों को भी यह बात समझ आ गई थी कि आने वाले समय में उद्धव ठाकरे ही शिवसेना के प्रमुख बनने वाले हैं।
Raj Thackeray के बगावती तेवर।
बाला साहेब ठाकरे ने सामना में एक कॉलम लिखा
“क्या शिवसेना पार्टी दो हिस्सों में बंट जाएगी? यह बंटवारा किस तरह से होगा? इन सवालों पर चिंता करना आप लोग बंद करें। आप सभी, महाराष्ट्र और अपने बारे में चिंता करे हम अपने किले की रक्षा करने में सक्षम हैं। मैं मीडिया को बताना चाहता हूँ की जो कुछ भी आपके मन में है, वह नहीं होने वाला है शिवसेना अजेय और अविनाशी है।”
2005 में हंगामा तब मच गया था, जब राज़ ठाकरे ने बालासाहेब को एक पत्र लिखकर कहा कि चापलूसों की चौकड़ी आपको गुमराह कर रही है। उन्होंने लोकसभा सीट कोंकण में मिली हार के लिए भी इस चौकड़ी को जिम्मेदार ठहराया।
द कज़िन्स ठाकरे के मुताबिक राजठाकरे जिंस चौकड़ी की बात कर रहे थे उसमें उद्धव, मिलिंद नार्वेकर और सुभाष देसाई शामिल थे। Raj Thackeray के बगावती तेवर को बाला साहेब ने परख लिया था। बालासाहेब को ऐसे ही लगा जैसे किसी शावक ने बाग से सवाल किया हो।
Raj Thackeray का ऐतिहासिक फैसला।
विरासत से अलग होकर नई विरासत बनाना आसान नहीं होता। सबसे बड़ी बात यह फैसला लेना अपने आप में ही मुश्किल है। Raj Thackeray का उद्धव के साथ काम करना मुश्किल होता जा रहा था। अब तक वह जान चूके थे कि बालासाहेब के इस समर्थन के बिना शिवसेना पार्टी के निशान और नाम पर कब्जा करना मुश्किल है।
ऐसे में उन्होंने 2005 में शिवसेना छोड़कर अपना अलग मुकाम हासिल करने का फैसला कर लिया।
Raj Thackeray ने बालासाहेब ठाकरे को अपना भगवान बताया
“मेरा झगड़ा मेरे भगवान के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है। कुछ लोग हैं जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं, इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूँ। बाल साहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, है और रहेंगे।“
हजारों समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए Raj Thackeray ने इतनी बात कहकर शिवसेना के सभी पदों से अपना नाता तोड़ लिया। समर्थकों की भीड़ ने तालियां बजाईं। जयकारा लगाया। राज साहिब आगे बढ़ें, हम तुम्हारे साथ हैं। राज साहब आगे बढ़ें, हम तुम्हारे साथ हैं।
मराठी मानुष की पार्टी की शुरुआत
2006 में, Raj Thackeray ने अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की। पार्टी के झंडे के तीन रंग थे। भगवा रंग हिंदुओं के लिए, हरा रंग मुसलमानों के लिए और नीला रंग दलितों का प्रतीक था।
जयप्रकाश नारायण के नवनिर्माण आंदोलन की वजह से नवनिर्माण को चुना जिससे वे महाराष्ट्र को फिर से बनाना चाहते हैं। इस तरह पार्टी का नाम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बन गया।
अमिताभ बच्चन ने माफी मांगी।
2008 आते- आते Raj Thackeray ने उत्तर भारतीयों के खिलाफ़ हिंस का आंदोलन करना शुरू कर दिया था। Raj Thackeray की मांग थी कि महाराष्ट्र में हिंदी की जगह मराठी को तवज्जो दी जाए। सरकारी दफ्तरों, स्कूल, कॉलेज, हर जगह पर मराठी बोली जाए। मराठी लिखी जाए।
हिंसा इतनी बढ़ गई थी कि मनसे कार्यकर्ताओं ने अंग्रेजी और हिंदी साइन बोर्डो को काला करना शुरू कर दिया। लंबे समय तक हिंदी को लेकर महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय बनाम मराठी को लेकर तनाव बनने लगा। इसी बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस जया बच्चन ने एक बयान दे दिया।
इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया। 2008 में जया बच्चन ने कहा, “हम उत्तर प्रदेश के लोग हैं, हम मराठी क्यों बोले।” हम तो हिंदी ही बोलेंगे। उन्होंने एक पत्रकार के जवाब में कहा, आई नो ओनली टू ठाकरे। बाला साहब ठाकरे, उद्धव ठाकरे, who is Raj Thackeray?
जया बच्चन के इस बयान से Raj Thackeray का हिंदी को लेकर गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। Raj Thackeray ने सार्वजनिक मंच पर जया बच्चन की सभी फिल्मों को बंद करने का ऐलान कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक जया बच्चन माफी नहीं मांग लेती तब तक उनका विरोध करते रहेंगे। उनके कार्यकर्ताओं ने सिनेमाघरों पर हमले करने शुरू कर दिए।
लगातार हो रहे हमलों की वजह से अमिताभ बच्चन आगे आए और जया बच्चन की तरफ से उनको माफी मांगनी पड़ी।
महाराष्ट्र दिवस मनाने पर ज़ोर
Raj Thackeray ने शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित किया और कहा, “महाराष्ट्र में पंजाबी, सिंधी, पारसी और हर मज़हब के लोग रहते हैं। हमें उनसे कोई खतरा क्यों नहीं महसूस होता? लेकिन ये जो उत्तर भारतीय अपनी ताकत दिखा रहे हैं, हमें उनसे खतरा है। छठ पूजा जैसे कार्यक्रम के जरिये ये अपनी मैन पावर दिखाते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुंबई में असामाजिक तत्व उत्तर भारत से ही आए हैं। Raj Thackeray ने सरकार को यह कहते हुए चेतावनी दी की राज्य में सिर्फ महाराष्ट्र दिवस मनाया जाए।
Raj Thackeray गिरफ्तार हुए
उत्तर भारत के खिलाफ़ महाराष्ट्र में आंदोलन तेज गति पकड़ चुका था। कई जगह दंगे भी हुए। कई जगह उत्तर भारत से आने वाले विद्यार्थियों को पीटा गया। क्रिया की प्रतिक्रिया भी हुई और अंत में सरकार ने पूरी घटना का जिम्मेवार Raj Thackeray को ठहराया।
Raj Thackeray को गिरफ्तार कर लिया गया। मुंबई में उनकी गिरफ्तारी के बाद भी छिटपुट घटनाएं घटी। लेकिन चर्चा के गलियारों से खबर है कि बहुत सारा पैसा लेकर, Raj Thackeray को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
Raj Thackeray का प्रभाव और पतन
शुरुआती दौर में पार्टी ने मुंबई और अन्य शहरी इलाकों में खासा समर्थन जुटाया। विशेषकर, 2009 के विधानसभा चुनावों में MNS ने अच्छा प्रदर्शन किया और मुंबई, पुणे जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली सीटें जीतीं।
हालांकि शुरुआती सफलता के बावजूद, MNS का राजनीतिक प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा। 2014 और 2019 के चुनावों में पार्टी की स्थिति कमजोर होती गई। इसका मुख्य कारण यह था कि उनके कई मुद्दे और नीतियां बीजेपी-शिवसेना गठबंधन द्वारा हावी कर दिये गये। साथ ही, Raj Thackeray की रणनीतियों और चुनावी तैयारियों में भी कमी देखी गई।
Raj Thackerayकी राजनीति अक्सर क्षेत्रवाद और मराठी अस्मिता पर आधारित रही है, लेकिन समय के साथ अन्य पार्टियों ने भी इन मुद्दों को उठाना शुरू किया, जिससे MNS की विशिष्टता कमजोर पड़ गई। 2019 के लोकसभा चुनावों में Raj Thackeray ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमला बोला, लेकिन इससे भी उनकी पार्टी को विशेष लाभ नहीं हुआ।
2024 में राज Raj Thackeray की संभावित भूमिका
2024 के चुनावों में Raj Thackeray की भूमिका पर कई सवाल उठते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना, बीजेपी, एनसीपी और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों का दबदबा है, लेकिन Raj Thackeray के पास अभी भी एक विशेष प्रकार का जनसमर्थन है, जो उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम खिलाड़ी बना सकता है।
1. मराठी अस्मिता का मुद्दा:
Raj Thackeray अभी भी मराठी अस्मिता और क्षेत्रीयता के मुद्दों को उठाते हैं, जो महाराष्ट्र के कई मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है। अगर वे इन मुद्दों को सही ढंग से भुना पाते हैं, तो 2024 में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
2. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से टकराव:
Raj Thackeray का बीजेपी और शिवसेना के खिलाफ आक्रामक रुख उन्हें विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाने का मौका दे सकता है। यदि वे एक महा गठबंधन का हिस्सा बनते हैं, तो वे 2024 में एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
3. युवाओं का समर्थन:
Raj Thackeray की लोकप्रियता युवाओं में अभी भी बनी हुई है। खासकर उनके बेबाक और तेज तर्रार भाषणों के कारण। अगर वे इस जन समर्थन को ठोस वोट बैंक में तब्दील कर पाते हैं, तो 2024 में उनकी पार्टी को पुनर्जीवित करने का मौका मिल सकता है।
4. विरोधी भूमिका:
Raj Thackeray का विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करना उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में “किंगमेकर” बना सकता है। यदि महाराष्ट्र में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनती है, तो MNS की कुछ सीटें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
निष्कर्ष Raj Thackeray का राजनीतिक सफर संघर्ष के उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। लेकिन उन्हें कभी भी पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका, उनकी रणनीति, गठबंधन,